अपनों को प्यारे मैसेज भेजकर दें ईद की बधाई 2022

 

अपनों को प्यारे मैसेज भेजकर दें ईद की बधाई 2022
Eid Ul Fitr 2022

ईद मुबारक शायरी: ईद मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार है। जब पूरी दुनिया में ईद का चांद नजर आता है तो रोजा पूरा होता है। ईद इस्लाम के सबसे खास त्योहारों में से एक है। यह त्योहार लोगों के बीच प्यार और भाईचारे का प्रतीक रहा है और बच्चे और वयस्क भी इस त्योहार का ईद का बेसब्री से इंतजार करते हैं।


रमजान का महीना खत्म होने के बाद ईद मनाई जाएगी। पूरे महीने रोजे रखने के बाद ईद आती है। ईद-उल-फितर के त्योहार पर एक-दूसरे को गले लगाकर प्यार दिया जाता है, लेकिन इससे पहले आप अपने चाहने वालों को सोशल मीडिया संदेशों, तस्वीरों और शायरी के जरिए ईद मुबारक का संदेश भेज सकते हैं।

दीपक में अगर नूर ना होता,

तन्हा दिल यूं मजबूर ना होता,

पास आकर गले न मिल पाएंगे,

पर दूर से ही दिल तो मिलाएंगे।

ईद मुबारक 


कोई इतना चाहे तुम्हें तो बताना,

कोई तुम्हारे इतने नाज उठाए तो बताना,

ईद मुबारक तो हर कोई कह देगा तुमसे,

कोई हमारी तरह कहे तो बताना।

Eid Mubarak


रमजान में ना मिल सके;

ईद में नज़रें ही मिला लूं;

हाथ मिलाने से क्या होगा;

सीधा गले से लगा लूं.

ईद मुबारक


दीपक में अगर नूर ना होता;

तन्हा दिल यूँ मजबूर ना होता;

मैं आपको “ईद मुबारक” कहने जरूर आता;

अगर आपका घर इतना दूर ना होता.

ईद मुबारक!


सूरज की किरणें तारों की बहार;

चाँद की चाँदनी अपनों का प्यार;

हर घड़ी हो ख़ुशहाल;

उसी तरह मुबारक हो आपको ईद का त्योहार.

ईद मुबारक!


सदा हँसते रहो जैसे हँसते हैं फूल;

दुनिया के सारे गम तुम जाओ भूल;

चारों तरफ फ़ैलाओ खुशियों के गीत;

इसी उम्मीद के साथ तुम्हें मुबारक हो ईद.

ईद मुबारक


ज़िन्दगी का हर पल खुशियों से कम न हो;

आप का हर दिन ईद के दिन से कम न हो;

ऐसा ईद का दिन आपको हमेशा नसीब हो;

जिसमें कोई दुःख और कोई गम न हो!

ईद मुबारक!


ईद पर कही जाने वाली शायरी में और भी कई दिल-चस्प पहलू हैं। हमारा ये शेरी इन्तिख़ाब पढ़िए-


ईद का चाँद तुम ने देख लिया

चाँद की ईद हो गई होगी

इदरीस आज़ाद


ईद का दिन है गले आज तो मिल ले ज़ालिम

रस्म-ए-दुनिया भी है मौक़ा भी है दस्तूर भी है

क़मर बदायुनी


मिल के होती थी कभी ईद भी दीवाली भी

अब ये हालत है कि डर डर के गले मिलते हैं

अज्ञात


तुझ को मेरी न मुझे तेरी ख़बर जाएगी

ईद अब के भी दबे पाँव गुज़र जाएगी

ज़फ़र इक़बाल


ईद आई तुम न आए क्या मज़ा है ईद का

ईद ही तो नाम है इक दूसरे की दीद का

अज्ञात


हम ने तुझे देखा नहीं क्या ईद मनाएँ

जिस ने तुझे देखा हो उसे ईद मुबारक

लियाक़त अली आसिम


देखा हिलाल-ए-ईद तो आया तेरा ख़याल

वो आसमाँ का चाँद है तू मेरा चाँद है

अज्ञात


ऐ हवा तू ही उसे ईद-मुबारक कहियो

और कहियो कि कोई याद किया करता है

त्रिपुरारि


जिस तरफ़ तू है उधर होंगी सभी की नज़रें

ईद के चाँद का दीदार बहाना ही सही

अमजद इस्लाम अमजद


कहते हैं ईद है आज अपनी भी ईद होती

हम को अगर मयस्सर जानाँ की दीद होती

ग़ुलाम भीक नैरंग


उस से मिलना तो उसे ईद-मुबारक कहना

ये भी कहना कि मिरी ईद मुबारक कर दे

दिलावर अली आज़र


ईद का दिन है सो कमरे में पड़ा हूँ ‘असलम’

अपने दरवाज़े को बाहर से मुक़फ़्फ़ल कर के

असलम कोलसरी


फ़लक पे चाँद सितारे निकलने हैं हर शब

सितम यही है निकलता नहीं हमारा चाँद

पंडित जवाहर नाथ साक़ी


ईद अब के भी गई यूँही किसी ने न कहा

कि तिरे यार को हम तुझ से मिला देते हैं

मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

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