Saaho Movie
Saaho Movie Review: प्रभास के जबर्दस्त एक्शन को नहीं मिला कहानी से सपोर्ट

प्रभास और श्रद्धा के धमाकेदार एक्शन से भरी साहो देखी जा सकती है.
Saaho Movie Review: दक्षिण भारतीय निर्देशक सुजीत द्वारा लिखित और निर्देशित 'साहो (Saaho)' का प्लॉट बेहद जलिट है. फिल्म बहुत ज्यादा ट्विस्ट और टर्न का शिकार हो गई है. बड़े-बड़े खुलासों और किरदारों की पहचान छिपाते-छिपाते फिल्म उलझ जाती है. मुंबई में 2000 करोड़ की लूट हुई है. केस को निपाटने के लिए मुंबई पुलिस फोर्स के स्टार अशोक (प्रभास) को बुलाया जाता है. उसे इस लूट के पीछे के रहस्यमयी शख्स शैडो (नील नितिन मुकेश) का भंडाफोड़ करने की जिम्मेदारी दी गई है. इस रहस्यमयी शख्स के बारे में अब तक कोई नहीं जानता. इस शख्स को कोई नहीं जानता. लेकिन सबका मानना है कि इस लूट का मास्टरमाइंड वही है.

अधिक ट्विस्ट का शिकार हो गई साहो
इसके बाद शुरू होता सांप-सीढ़ी का खेल. लेकिन इसमें असल खेल से ज्यादा ट्विस्ट आते हैं. कुछ समय बाद चीजें समझ से बाहर हो जाती हैं और पर्दे पर प्रभास यहां से वहां भागते हुए नजर आते हैं.
फिल्म में वाजी नाम की काल्पनिक जगह पर रह कर जैकी श्रॉफ क्राइम सिंडिकेट के हेड रॉय की भूमिका में हैं. उनकी भारत में आते ही हत्या हो जाती है. वे इतने बड़े डॉन कैसे बने जब यहां आते ही उनकी हत्या हो गई. इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती.

इसके अलावा प्रभास, क्राइम ब्रांच की फाइटर अधिकारी अमृता नायर (श्रद्धा कपूर) के साथ रहने की हर संभव कोशिश करते हैं, लेकिन रह नहीं पाते. दूसरी तरफ फिल्म की सबसे बड़ी गुत्थी ब्लैक बॉक्स को अपना बनाने का सपना देख रहे कई विलेन में से शैडो इसमें कामयाब होता है.

साहो में एक्शन
रही बात एक्शन की 'साहो' में ऐसे तत्व ही मौजूद नहीं हैं, जिनके दम पर एक्शन को पचाया जाए. कई जगहों पर फिल्म में बेजा एक्शन देखने को मिलता है.
प्रभास ने किया किरदार के साथ इंसाफ
साहो को केवल प्रभास के लिए देखा जा सकता है. प्रभास से पर्दे पर जिस तरह के अभिनय की उम्मीद की जाती है, वो उसे निभाने में कामयाब रहे हैं. वो एक रोमांटिक हीरो और तगड़े नायक दोनों किरदारों में सटीक अभिनय करते नजर आते हैं.

साहो कि सहायक किरदार
निर्देशक सुजीत ने बड़े-बड़े स्टार्स को फिल्म भर लिया है. लेकिन श्रद्धा कपूर, चंकी पाडे, महेश मांजरेकर, मंदिरा बेदी, टीनू आनंद और नील नितिन मुकेश को पर्दे पर इतना समय ही नहीं मिला कि वे अपना कमाल दिखा पाते. फिल्म को उलझाने का ठिकारा कतई इनके सिर पर नहीं फोड़ा जा सकता. कई दृश्यों में साहो एक ऐसे वीडियो गेम की तरह मालूम होती है, जिसमें बहुत ज्यादा हिंसा होने के बाद भी देखने या खेलने वाले को भावनात्मक तौर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता.

फिल्म में कुछ गाने अच्छे हैं. कई जगहों पर एक्शन सीन्स भी काफी चौंकाने वाले हैं. लेकिन निर्देशक ने एक बहुत ही अच्छा मौका गंवा दिया. 350 करोड़ के बजट वाली फिल्म और प्रभास की बाहुबली की बाद वाली फिल्म से काफी अपेक्षाएं बढ़ गई थीं.

साहो में श्रद्धा और प्रभास का रोमांस भी जबर्दस्त है.
अधिक ट्विस्ट का शिकार हो गई साहो
इसके बाद शुरू होता सांप-सीढ़ी का खेल. लेकिन इसमें असल खेल से ज्यादा ट्विस्ट आते हैं. कुछ समय बाद चीजें समझ से बाहर हो जाती हैं और पर्दे पर प्रभास यहां से वहां भागते हुए नजर आते हैं.
फिल्म में वाजी नाम की काल्पनिक जगह पर रह कर जैकी श्रॉफ क्राइम सिंडिकेट के हेड रॉय की भूमिका में हैं. उनकी भारत में आते ही हत्या हो जाती है. वे इतने बड़े डॉन कैसे बने जब यहां आते ही उनकी हत्या हो गई. इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती.

साहो की स्टारकास्ट भी जबर्दस्त है.
इसके अलावा प्रभास, क्राइम ब्रांच की फाइटर अधिकारी अमृता नायर (श्रद्धा कपूर) के साथ रहने की हर संभव कोशिश करते हैं, लेकिन रह नहीं पाते. दूसरी तरफ फिल्म की सबसे बड़ी गुत्थी ब्लैक बॉक्स को अपना बनाने का सपना देख रहे कई विलेन में से शैडो इसमें कामयाब होता है.

नील नितिन मुकेश फिल्म में हुई चोरी के मास्टर माइंड हैं.
साहो में एक्शन
रही बात एक्शन की 'साहो' में ऐसे तत्व ही मौजूद नहीं हैं, जिनके दम पर एक्शन को पचाया जाए. कई जगहों पर फिल्म में बेजा एक्शन देखने को मिलता है.
प्रभास ने किया किरदार के साथ इंसाफ
साहो को केवल प्रभास के लिए देखा जा सकता है. प्रभास से पर्दे पर जिस तरह के अभिनय की उम्मीद की जाती है, वो उसे निभाने में कामयाब रहे हैं. वो एक रोमांटिक हीरो और तगड़े नायक दोनों किरदारों में सटीक अभिनय करते नजर आते हैं.

मंदिरा बेदी के किरदार को पर्दे पर खिलने का समय नहीं मिला.
साहो कि सहायक किरदार
निर्देशक सुजीत ने बड़े-बड़े स्टार्स को फिल्म भर लिया है. लेकिन श्रद्धा कपूर, चंकी पाडे, महेश मांजरेकर, मंदिरा बेदी, टीनू आनंद और नील नितिन मुकेश को पर्दे पर इतना समय ही नहीं मिला कि वे अपना कमाल दिखा पाते. फिल्म को उलझाने का ठिकारा कतई इनके सिर पर नहीं फोड़ा जा सकता. कई दृश्यों में साहो एक ऐसे वीडियो गेम की तरह मालूम होती है, जिसमें बहुत ज्यादा हिंसा होने के बाद भी देखने या खेलने वाले को भावनात्मक तौर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता.

जैकी श्रॉफ के किरदार का नाम रॉय है.
फिल्म में कुछ गाने अच्छे हैं. कई जगहों पर एक्शन सीन्स भी काफी चौंकाने वाले हैं. लेकिन निर्देशक ने एक बहुत ही अच्छा मौका गंवा दिया. 350 करोड़ के बजट वाली फिल्म और प्रभास की बाहुबली की बाद वाली फिल्म से काफी अपेक्षाएं बढ़ गई थीं.
डिटेल्ड रेटिंग
कहानी | : | 1/5 |
स्क्रिनप्ल | : | 1/5 |
डायरेक्शन | : | 1/5 |
संगीत | : | 3/5 |